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Ik Shaam



इक शाम भीनी रौशनी में , वो ख्वाब से कुझ यूँ मिले !
बेताब सी नज़रें मिली , हम दिल पकड़ कर रह गए !!

उनकी हँसी उनकी ख़ुशी को , देख कर खुश होते रहना !
ना दिखें वो जब कभी , परेशां तड़प कर रह गए !!

याद में पल पल बिताना , दुनिया जहां को भूल जाना !
उनको चाहने को भी चाहना , बस प्यार कर कर रह गए !!


हाथ हाथों में पकड़ , सांस साँसों में जकड , इज़हार हमने कर दिया !
वो आहें भरते ही रहे , हम आँहों में जल कर रह गए !!

हाथ हाथों से छुआ कर , वो मुस्कुरा कर चल दिए !
कुझ ना कहाँ लफ़्ज़ों में पर , वो बिन कहे सब कह गए !!

कुझ और भी थे कद्रदान , उनके महकते हुस्न के !
हम हाथ ले कर चल दिए , वो हाथ मल कर रह गए !!

वो लम्हे कितने ख़ास थे , हर पल नए एहसास थे !
एहसासों के जज़्बात में , हम सज संवर कर रह गए !!

वो बारिशों के पानी से , छीटें उड़ाना चेहरे पे !
वो पानी गीला था मगर , दिल अपने जल कर रह गए !!
 
वो मिलने की इक चाह में , आँखें बिछाना राह में !
इंतज़ार की उस प्यास में , नींदें बुझा कर रह गए !!

बेपंनाह बस प्यार था , बेवजह सब बिन यार था !
उनकी बातों की लहर में , बेपरवाह बह कर रह गए !!

बदले मौसम रातें बदली , मन को लुभाती वो बातें बदली !
वक़्त बदला हम ना बदले , पर वो बदल कर रह गए !!

चंद लम्हों की ख़ुशी में , खुशियाँ ही सब छिन गयी !
बिन सोचे सब वो कर गए , हम सोच कर ही रह गए !!

अरसे बाद फिर आज उनका, दीदार हमको हो गया !
वो नज़रें फट से झुक गयी, हम यादों में खो कर रह गए !!

आखों में मायूसी की झलक , चेहरे की रंगत सुनसान थी !
जिस्म पर दर्द की इबारत , वो दर्द पढ़ कर रह गए !!

जुबां दर्द-ए-बयान करती  , ये हिम्मत उनमे थी कहाँ !
उनका घबराना साफ़ था , वो चुप से सहम कर रह गए !!

वो पास से गुज़रे तो नज़रें , तक ना हमसे मिल सकीं ! 
हम सर उठा कर चल दिए , वो सर झुका कर रह गए !!



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