दुश्मन फिर आकर खड़ा हुआ ,
विदेशी शस्त्रों से सजा हुआ !
हम वीर तीर से नहीं डरते,
ये छाती चीर के तो दिखला
हाथों में ये विष बाण लिए ,
इस धरा का तू अपमान लिए !
इक पग तू बड़ा के तो दिखला ,
आँखें तू उठा के तो दिखला !!
धरती को माँ सा माना है,
इसकी आबरू को अपना जाना है !
इस चाहत को कम ना आंक ज़रा ,
प्यार आजमा के तो दिखला !!
इस मिटटी से तू पैदा हुआ,
मिटटी में ही तुझे मिला देंगे !
युद्ध जीत मुमकिन ही नहीं,
इक इंच खींच के तो दिखला !!
कभी तो विश्वासघात ना कर,
कभी तो कश्मीर की बात ना कर !
इस दिवास्वप्न को भूल तू जा ,
कश्मीर छीन के तो दिखला !!
तब हारा था , अब हारा है,
कल भी तू ही हारेगा !
अब मान भी जा ऐ मित्र ज़रा ,
या ये निर्णय बदल के तो दिखला !!
मौत भी अपनी साथी है ,
कंधे पे उठा के चलते हैं !
मरने का शौक हम रखते हैं,
ये इरादे मिटा के तो दिखला !!
तब फिर भी बच गया था भारत ,
पर अपनों से कौन बचाएगा !
इसके झुकते पावन शीश पर ,
कौन विजय तिलक लगाएगा !!
इस विश्व जगत के गलियारे में,
सर्वोपरि सज्जित कौन कराएगा !
उतिष्ठत भारत , ऐ युवा भारत ,
तू ही ये कर्म करके तो दिखला !
बस उठ ज़रा विचार ना कर ,
सबसे आगे बढ़के तो दिखला !!
कारगिल
विजय दिवस मुबारक ( २६ जुलाई )